खेलों के लिए पहचाने जाने वाला राज्य जहां एक से बढ़कर एक खिलाड़ी नजर आते हैं। बहुत सी चीजों के लिए इस राज्य की आलोचना की जाती है, पर जो हरियाणा और देश का नाम हमेशा ऊंचा करते है और यहां के धाकड़ खिलाड़ियों का जज्बा है। जिसमें कुश्ती के खिलाड़ी भी हैं। पिछले कुछ वक्त से यहां के खिलाड़ियों के साथ कुछ सहीं नहीं चल रहा। इन खिलाड़ियों ने अपने लिए आवाज भी उठाई लेकिन फिर एक दम से सभी लोग चुप हो गए या फिर चुप करा दिए गए। अब अपनी आवाज के साथ बजरंग पूनिया के रूप में जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकला है।
जब खिलाड़ीयो को आप पुरस्कार का वायदे करते है तब ऊन खिलाड़ीयो को आप ने पैसे का लालच नहीं बल्कि खिलाड़ियों का साथ देने का वायदा करते हैं । अगर आप अपने किये वायदे को पूरा नहीं कर सकते तो फिर भविष्य मे कोई भी खिलाड़ी आप से किस बात की उम्मीद रखें!@anilvijminister @mlkhattar pic.twitter.com/CxX7JK9Ez1
— Bajrang Punia ?? (@BajrangPunia) June 26, 2019
क्या है पूरा मामला ?
2018 में एशियन और कॉमनवेल्थ जैसे दो बड़े गेम्स हुए। हरियाणा के दिग्गज खिलाडियों में से बजरंग पूनिया, नीरज चोपड़ा और विनेश फोगाट जैसे खिलाड़ियों ने इन गेम्स में देश का नाम रोशन किया और गोल्ड मेडल जीता। जिसके बाद खिलाड़ियों का कहना है कि हरियाणा सरकार ने उन्हें जितना वादा किया था उतने पैसे खिलाड़ियों को नहीं दिए गए। उसके आधे पैसे ही खिलाड़ियों को दिए गए। जिसके बाद शुरू हुआ हंगामा।
In India: Politics & Entertainment
दरअसल, हरियाणा सरकार की खेल नीति कहती है कि एक साल में कोई खिलाड़ी एक से ज्यादा मेडल जीतता है तो उसे सबसे बड़े मेडल की पूरी इनामी राशि दी जाएगी। दूसरे मेडल की 50 फीसदी. और तीसरे मेडल की 25 फीसदी राशि दी जाएगी। इसके बाद अगर कोई मेडल जीतता है तो उसके लिए कोई नकद इनाम नहीं दिया जाएगा।
वहीं खिलाड़ियों ने कहा कि ये नियम केवल एक चैंपियनशिप या गेम्स पर लागू हो सकता है। एक साल में सभी टूर्नामेंट्स पर कैसे लागू किया जा सकता है?
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देखा जाए तो अगर कोई खिलाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स में एक से ज्यादा मेडल जीतता है तो उसे सबसे बड़े मेडल के लिए राशि पूरी और उसके बाद क्रमशः घटाकर देना चाहिए। उसके बाद फिर जब वो अगले गेम्स में कोई पदक जीते तो उसका पूरा इनाम उसे मिलना चाहिए ना कि कुछ काट पीटकर।
पहले भी खिलाड़ियों ने उठाए सवाल
सरकार की पॉलिसी पर उठाए गए ये सवाल पहली बार नहीं है, बजंरग पूनिया से पहले भी शूटर मनु भाकर ने भी सरकार की पॉलिसी पर नाराजगी जताई थी। उस वक्त स्टार शूटर मनु भाकर की इनामी राशि 2 करोड़ से घटाकर 1 करोड़ कर दी गई थी। लेकिन इस हंगाने के बाद मनु को हरियाणा सरकार ने अपनी गलती मानी और उसको पूरी इनाम राशि दी गई।