वैसे तो भारत के लिए १९ अगस्त सबसे महत्त्वपूर्ण दिन रहा है है, पर १२ अगस्त १९४८ की याद करें तो आपके दिलों में देश और देश के हॉकी खिलाड़ियों के लिए केवल सम्मान निकलता है, और निकलती है “भारत माता की जय” का मनमोहक आलाप।
क्या हुआ था लंदन ओलिंपिक में?
दिन था १२ अगस्त और स्टेडियम था वेम्ब्ली पार्क लंदन का- जब अंग्रेज़ों का ये गढ़ और पूरा भारत देश भारत माता की जय के जयकारों से झूम उठा था। ये दिन भारत की खेलों में सबसे बड़ी जीत का दिन है। ये भारत की जीत का दिन है और ब्रिटेन की हार का।
लगभग एक साल पहले अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद हुआ भारत आज के दिन लंदन ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में हॉकी का फ़ाइनल खेल रहा था।
कौन थे इस क्षण का रचयिता?
कोई भी ऐसी उपलब्धि जो पहले कभी नहीं हुई उसके लिए उतनी मेहनत करनी पड़ती है जो पहले कभी नहीं की। कुछ ऐसी ही मेहनत ने ये ऐतिहासिक क्षण लाया था। कहना मुश्किल था कि किसका सबसे ज़्यादा योगदान था इस महा-समर में जीत का- मैनेजर चटर्जी का जिन्होंने ये टीम एक साथ लायी थी, या कप्तान किशनलाल, के डी सिंह बाबू, या फ़िर उस ओलिंपिक के सबसे बेहतरीन भारतीय खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर और लेस्ली क्लॉडियस।
ऐतिहासिक दिन बना १२ अगस्त- भारत का तीसरा ओलिंपिक गोल्ड
![Indian Hockey Team 1948 Independent India First Olympic Gold](https://www.sportscrunch.in/wp-content/uploads/2019/08/Indian-Hockey-Team-1948.jpg)
(चित्र- फेसबुक)
किशनलाल की अगुआई में भारत की टीम जब मेज़बान ब्रिटेन का सामना करने उतरी तो वो फ़ाइनल मुक़ाबला खेल रही थी। आज़ादी के बाद का भारत अभी आर्थिक तंगी से गुज़र रहा था और इस वज़ह से भी ये जीत महत्वपूर्ण है।
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बहरहाल भारतीय टीम जीतने के लिए आयी थी और टीम में थे कप्तान किशनलाल, उपकप्तान केडी सिंह बाबू, स्टार खिलाड़ी बलबीर सिंह और लेस्ली क्लॉडियस, रंगनाथन फ्रांसिस, लियो पिंटो, वॉटर डीसूज़ा, तरलोचन सिंह बावा, अख्तर हुसैन, रणधीर सिंह जेंटल, केशव दत्त, अमिर कुमार, मैक्सी वाज़, पैट्रिक जनसेन, लतिफुर रहमान, लॉरिए फर्नांडिस, गेराल्ड गलैकेन, रेगीनाल्ड रोड्रिग्ज़, ग्रहनंदन सिंह और जसवंत सिंह राजपूत।
इससे पहले ग्रुप A में खेल रहा भारत अर्जेंटीना को ९-१, ऑस्ट्रिया को ८-० और स्पेन को २-० से हरा कर सेमीफाइनल पहुंचा था और वहां उसने नीदरलैंड को ४-० से हराकर ये मुक़ाबला पाया था। वहीं अँगरेज़ टीम ग्रुप बी में स्विट्ज़रलैंड को बिना गोल के ड्रा, अमेरिका को ११-० और अफ़ग़ानिस्तान को ८-० से हराकर सेमीफ़ाइनल पहुंची थी जहाँ उसने पाकिस्तान को २-० से हराकर फ़ाइनल में प्रवेश किया था।
![Indian Hockey Team 1948 2 Independent India First Olympic Gold](https://www.sportscrunch.in/wp-content/uploads/2019/08/Indian-Hockey-Team-1948-2.jpg)
(चित्र- फेसबुक)
जॉर्ज सीमे की अगुआई वाली ब्रिटिश टीम में रोबर्ट ऐडलार्ड, नार्मन बोर्रेट, डेविड ब्रॉडी, रोनाल्ड डेविस, डब्ल्यू ओ ग्रीन, विलियम ग्रिफिथ्स, हिचमैन, फ्रेडरिक और विलियम लिंडसे, जॉन पीक, फ्रैंक रेनॉल्ड्स, डी बी थॉमस, माइकल वालफोर्ड, व्हिटब्रेड, विलियम वाइट और यंग थे।
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बलबीर सिंह ने जब शुरुआती १५ मिनट में २ गोल कर दिए (७वें और १५वें मिनट में), तो इन दो गोल ने मैच का रुख भारत के पक्ष में कर दिया। २ गोल का पीछा करती ब्रिटिश टीम पूरे मैच में कोई गोल नहीं कर पाई जबकि भारत ने २ और गोल दाग कर रही सही कसर पूरी कर दी। इस जीत के महानायक बलबीर सिंह सीनियर ने कुछ इस तरह बयान किया इस मैच को, जब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक संघ से इस बारे में बात करी –
भारत ने जब ब्रिटेन की टीम को इस महामुकाबले में ४-० से हराया तो मानो ये बरसों की मुराद पूरी कर गया। ये जीत आज़ाद भारत की शक्ति का प्रदर्शन था जिसने भारतीय हॉकी को वो आत्मबल दिया जिसकी वजह से भारत इसके बाद चार बार और ओलिंपिक चैंपियन बना इस खेल में।
भारत की इस महा-उपलब्धि से प्रेरित होकर पिछले दिनों गोल्ड नाम से एक फ़िल्म आयी थी जिसमें बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार ने मैनेजर चटर्जी की भूमिका निभाई थी।