आपने खिलाड़ियों को अपनी टीम के लिए मैच जीतते देखा होगा, और देखा होगा खिलाड़ियों को टूर्नामेंट जीतते हुए। प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जिताने वाले खिलाड़ी कम हैं और हर दिल अज़ीज़ हैं। आज बात करते हैं उन 8 महानायकों के बारे में जो थे सूत्रधार भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत के। ये भारतीय हॉकी की सबसे बड़ी जीत को याद करने का समय है, तो याद करते हैं उन हॉकी खिलाड़ियों को जिन्होंने किये सबसे ज्यादा गोल भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत में।
8. सुरिंदर सिंह सोढ़ी-मॉस्को 1980 ओलिंपिक खेल
वासुदेवन भास्करन भारत के कप्तान थे। आज़ाद भारत ओलिंपिक हॉकी में 9वीं बार भाग ले रहा था और ये उनका 12वां ओलिंपिक था हॉकी खेल में। इस संस्करण में आज़ाद भारत ने अपनी 5वीं ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी और कुल मिला कर 8वां ओलिंपिक गोल्ड जीता।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 6 मैच खेले और इनमें से चार 18-0, 13-0, 4-2 व 4-3 के गोल अंतर से जीते जबकि दूसरा और तीसरा मैच 2-2 और 1-1 के स्कोर से बराबरी पर छूटा। भारत की विजय के महानायक रहे सुरिंदर सिंह सोढ़ी जिन्होंने 14 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 5, 0, 1, 4, 2 व 2 गोल किये इस संस्करण में।
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7. पृथीपाल सिंह-टोक्यो 1964 ओलिंपिक खेल
चरणजीत सिंह भारत के कप्तान थे। आज़ाद भारत ओलिंपिक हॉकी में 5वीं बार भाग ले रहा था और ये उनका 8वां ओलिंपिक था हॉकी खेल में। इस संस्करण में आज़ाद भारत ने अपनी 4वीं ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी और कुल मिला कर 7वां ओलिंपिक गोल्ड जीता।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 9 मैच खेले और इनमें से सात 2-0, 6-0, 3-1, 3-0, 2-1, 3-1 व 1-0 के गोल अंतर से जीते जबकि दूसरा और तीसरा मैच 1-1 के स्कोर से बराबरी पर छूटा। भारत की विजय के सूत्रधार रहे पृथीपाल सिंह जिन्होंने 10 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 1, 1, 0, 2, 2, 1, 1, 2 व 0 गोल किये इस संस्करण में।
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6. उधम सिंह कुलर– मेलबर्न 1956 ओलिंपिक खेल
बलबीर सिंह दोसांझ भारत के कप्तान थे। आज़ाद भारत ओलिंपिक हॉकी में 3वीं बार भाग ले रहा था और ये उनका 6वां ओलिंपिक था हॉकी खेल में। इस संस्करण में आज़ाद भारत ने अपनी 3वीं ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी और कुल मिला कर 6वां ओलिंपिक गोल्ड जीता।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 5 मैच खेले और इनमें 14-0, 16-0, 6-0, 1-0 व 1-0 के गोल अंतर से जीते । भारत की विजय के सूत्रधार रहे उधम सिंह कुलर जिन्होंने 14 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 4, 7, 2, 1 व 0 गोल किये इस संस्करण में।
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5. बलबीर सिंह दोसांझ– हेलसिंकी 1952 ओलिंपिक खेल
केडी सिंह बाबू भारत के कप्तान थे। आज़ाद भारत ओलिंपिक हॉकी में 2वीं बार भाग ले रहा था और ये उनका 5वां ओलिंपिक था हॉकी खेल में। इस संस्करण में आज़ाद भारत ने अपनी 2वीं ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी और कुल मिला कर 5वां ओलिंपिक गोल्ड जीता।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 3 मैच खेले और इनमें 4-0, 3-1 व 6-0 के गोल अंतर से जीते । भारत की विजय के सूत्रधार रहे बलबीर सिंह दोसांझ जिन्होंने 9 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 1, 3 व 5 गोल किये इस संस्करण में।
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4. बलबीर सिंह दोसांझ– लंदन 1948 ओलिंपिक खेल
किशन लाल भारत के कप्तान थे। आज़ाद भारत ओलिंपिक हॉकी में पहली बार भाग ले रहा था और ये उनका 4वां ओलिंपिक था हॉकी खेल में। इस संस्करण में आज़ाद भारत ने अपनी पहली ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी और कुल मिला कर 4वां ओलिंपिक गोल्ड जीता। ये ओलिंपिक भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्यूंकि यहीं से शुरुआत हुई थी आज़ाद भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 5 मैच खेले और इनमें 8-0, 9-1, 2-0, 2-1 व 4-0 के गोल अंतर से जीते । भारत की विजय के सूत्रधार रहे बलबीर सिंह दोसांझ जिन्होंने 8 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 6 व 2 गोल किये इस संस्करण में खेले दो मैच में।
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3. ध्यान चंद– बर्लिन 1936 ओलिंपिक खेल
हाथों के जादूगर कहे जाने वाले ध्यान चंद भारत के कप्तान थे। भारत ओलिंपिक हॉकी में 3वीं बार भाग ले रहा था। इस संस्करण में भारत ने अपनी 3वीं ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 5 मैच खेले और इनमें 4-0, 7-0, 9-0, 10-0 व 3-0 के गोल अंतर से जीते । भारत की विजय के सूत्रधार रहे ध्यान चंद जिन्होंने 13 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 0, 2, 4, 4 व 3 गोल किये इस संस्करण में ।
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2. रूप सिंह– लॉस एंजेल्स 1932 ओलिंपिक खेल
लाल शाह बुखारी भारत के कप्तान थे। भारत ओलिंपिक हॉकी में 2वीं बार भाग ले रहा था। इस संस्करण में भारत ने अपनी 2वीं ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 2 मैच खेले और इनमें 11-1 व 24-1 के गोल अंतर से जीते । भारत की विजय के सूत्रधार रहे ध्यान चंद के छोटे भाई रूप सिंह जिन्होंने 13 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 3 व 10 गोल किये इस संस्करण में। ध्यान चंद ने 12 गोल किये इस संस्करण में।
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1. ध्यान चंद– एम्स्टर्डम 1928 ओलिंपिक खेल
जयपाल सिंह भारत के कप्तान थे। भारत ओलिंपिक हॉकी में पहली बार भाग ले रहा था और इस संस्करण में भारत ने अपनी पहली ओलिंपिक गोल्ड जीत पायी।
भारत ने इस ओलिंपिक खेल संस्करण में 5 मैच खेले और इनमें 6-0, 9-0, 5-0, 6-0 व 3-0 के गोल अंतर से जीते । भारत की विजय के सूत्रधार रहे ध्यान चंद जिन्होंने 14 गोल के साथ रखी नींव भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की। मैच दर मैच गोल की बात करें तो उन्होंने क्रमशः 4, 1, 4, 3 व 2 गोल किये इस संस्करण में। ये ओलिंपिक भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्यूंकि यहीं से शुरुआत हुई थी भारत की हॉकी ओलिंपिक गोल्ड जीत की।